"गुरु की महिमा"
हर पल हर क्षण , उस गुरु का ध्यान करूं |
कृपा है उसकी अनन्त , क्या महिमा का बखान करूं |
ज्ञान की जोत जो जलाए , मन अंधियारे में |
एक पल के दर्शन में देखी दुनिया , गुरु प्यारे में |
गुरु बिना गति नहीं , सार्थक बात कही है |
उसकी शरण में रहो हरदम , जीवन सार यही है |
जीवन दिया भले भगवान ने , जीना गुरु ने सिखलाया |
इस उलझी दुनिया में , जीने का ढंग बतलाया |
आशीर्वाद से मिली जो ख्याति मुझे , हर पल उसका ध्यान करूं |
कृपा है उसकी अनंत , क्या महिमा का बखान करूं |
Written on -19.07.2016
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1 Comments
हरि रूठे गुरु ठौर है
ReplyDeleteगुरु रूठे नहीं ठौर