मेरी चुप्पी को दुनिया चाल समझ लेती है
मेरी हंसी को दुनिया कमाल समझ लेती है
दुखी होने पर मेरी नोटंकी समझ लेती है
बहुत जालिम है ये दुनिया
आग में घी डालने का बहाना ढून्ढ लेती है
0 Comments