छूना
चाहती
है
कलम
मेरी
भी
आसमान
बस अभी उस
पार की उड़ान बाकी है
लिखते जाएंगे आखिरी
सांस तक
बस जोश से
संभालनी कमान बाकी है
रहूँगा समाज में
आम बनकर बेशक
पर छिपी हुई
मश्हूर पहचान बाकी है
पकड़ लूँ लिखने
की रफ़्तार तेजी
से
बस यही खुदा
का एहसान बाकी है
छूना
चाहती
है
कलम
मेरी
भी
आसमान
बस अभी उस
पार की उड़ान बाकी है
लिखते जाएंगे आखिरी
सांस तक
बस जोश से
संभालनी कमान बाकी है
रहूँगा समाज में
आम बनकर बेशक
पर छिपी हुई
मश्हूर पहचान बाकी है
पकड़ लूँ लिखने
की रफ़्तार तेजी
से
बस यही खुदा
का एहसान बाकी है
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