दुनिया ने कसर न छोड़ी मुझे रुलाने की
मैंने पूरी कोशिश की हर रिश्ते को निभाने की
पर हो गयी गलतियां कुछ बेशक मेरी नादानी की
पर गलती सबसे होती है मुझसे भी हो गयी
बस ये बात सबके मन को उलटी छू गयी
गिर गया सबकी नजरों में मेरा सम्मान
सोचते ये कितना बेकार है इंसान
कैसे समझाऊँ किसी को दर्द का हाल
सब तो यही कहेंगे तुम भी करते हो यार कमाल
इंसान में कई बार छिड़ जाते है अजीब मर्ज
जब दर्द मांगे हमदर्द तब कहाँ जाये मर्द
मर्द भूल सकता है हर मर्ज के दर्द को
बस कोई दर्द रुलाये न मर्द को
जब दुनिया मुझे पत्थर कह जाती है ।
आत्मा मुझमे भी है क्यों ये भूल जाती है ।
शब्दों में डालूँगा अपने इस दर्द को
शायद यही शान्ति दे मेरी इस मर्ज को
कमजोर हो गया हूँ पर हारा नहीं हूँ
जिस दिन उठूंगा दुगने हिम्मत से अभी जिन्दा हूँ मरा नहीं हूँ
ये बतला दो मुझे तड़पाने वालों को
क्या मारेंगे नित नए जन्म लेने वालों को
हर बार गिर गिर कर उठने की जो ठानी है
क्योंकि ऊँचे ऊँचे मुकाम पर जाने की रवानी है
भगवान जितने मर्जी दुःख के पल दे
बस जहाँ भी अपना समय पूरा हो वही से तुरंत चल दे
क्योंकि दादा जी की बात आज भी मेरे याद जुबानी है
जो चलता रहे हमेशा साफ़ वही पानी है
हर लम्हा दूसरों के काम आ पाऊं यही मन में ठानी है
यही सोच आने वाली पीढ़ी में भी लानी है
अपनी तो यही छोटी सी कहानी है
जिसने सुनी दिल की गहराइयों से उसकी आँख में पानी है
दुनिया ने कसर न छोड़ी मुझे रुलाने की
मैंने पूरी कोशिश की हर रिश्ते को निभाने की
पर हो गयी गलतियां कुछ बेशक मेरी नादानी की
पर गलती सबसे होती है मुझसे भी हो गयी
बस ये बात सबके मन को उलटी छू गयी
गिर गया सबकी नजरों में मेरा सम्मान
सोचते ये कितना बेकार है इंसान
कैसे समझाऊँ किसी को दर्द का हाल
सब तो यही कहेंगे तुम भी करते हो यार कमाल
इंसान में कई बार छिड़ जाते है अजीब मर्ज
जब दर्द मांगे हमदर्द तब कहाँ जाये मर्द
मर्द भूल सकता है हर मर्ज के दर्द को
बस कोई दर्द रुलाये न मर्द को
जब दुनिया मुझे पत्थर कह जाती है ।
आत्मा मुझमे भी है क्यों ये भूल जाती है ।
शब्दों में डालूँगा अपने इस दर्द को
शायद यही शान्ति दे मेरी इस मर्ज को
कमजोर हो गया हूँ पर हारा नहीं हूँ
जिस दिन उठूंगा दुगने हिम्मत से अभी जिन्दा हूँ मरा नहीं हूँ
ये बतला दो मुझे तड़पाने वालों को
क्या मारेंगे नित नए जन्म लेने वालों को
हर बार गिर गिर कर उठने की जो ठानी है
क्योंकि ऊँचे ऊँचे मुकाम पर जाने की रवानी है
भगवान जितने मर्जी दुःख के पल दे
बस जहाँ भी अपना समय पूरा हो वही से तुरंत चल दे
क्योंकि दादा जी की बात आज भी मेरे याद जुबानी है
जो चलता रहे हमेशा साफ़ वही पानी है
हर लम्हा दूसरों के काम आ पाऊं यही मन में ठानी है
यही सोच आने वाली पीढ़ी में भी लानी है
अपनी तो यही छोटी सी कहानी है
जिसने सुनी दिल की गहराइयों से उसकी आँख में पानी है
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