बचा सको तो बचा लो


 लिखने को हुई जो कलम तैयार

तुम भी करना जरा सोच विचार

करते हो अगर प्रकृति से प्यार

बातें सुन लो तुम मेरी चार

जल की महिमा है अनन्त अपार

व्यर्थ गंवा न कर अत्याचार

पुश्तों को दे बूंदों की बौछार

अगर करे तू जो सोच विचार

कार पूल से बचा हवा की गंदगी

पानी प्यासे को पिला कर बचा लाखों जिंदगी

लगा पेड़ हजारों में

चमकेगा नाम तेरा सितारों में

छत पर पिला पंछियों को पानी

सही से काम आये तेरी जिंदगानी

दे दो प्रकृति को जीवन का किराया

बचा सको तो बचा लो प्रकृति की काया

Post a Comment

0 Comments