ओ मेरे भारत तेरा इतिहास अब बिखर गया ।
मन हुए काले
लोगों के, चेहरा
निखर गया ।
ओ मेरे भारत
तेरे संस्कार न
जाने किधर गए
।
जीन्स के चक्कर
में दुपट्टे छाती
से उतर गए।।
ओ मेरे भारत
तेरा युवा न
जाने क्यों सिकुड़
गया ।
क्यों
नशे की जंजीरो
में इतना जकड़
गया ।।
ओ मेरे भारत
तेरे ग्रन्थ अब
हो लुप्त गए
।
सब छोड़ कर
तेरी महिमा , कैसे
हो मुक्त गए
।।
ओ मेरे भारत
पुरुष का कैसा
हो रूप गया
।
बेरोजगारी का कीड़ा उनका
खून चूस गया
।।
ओ मेरे भारत
नारी का कैसा
हो व्यवहार गया
।
उसके सपनों की
आंधी में बिखर
परिवार गया ।।
ओ मेरे भारत
बच्चों का किधर
बचपन गया ।
45 का जवान भी
लगता जैसे पार
पचपन गया ।।
ओ मेरे भारत
बहनों का कहाँ
प्यार गया ।
नाम को बस
रह राखी का
त्यौहार गया ।।
ओ मेरे भारत
भईयों का खो
रोब गया ।
बहनों के सीने
जैसे ये खंजर
खोब गया ।।
ओ मेरे भारत
पिता बन अब
रोबोट गया ।
लालच की दौड़
में फर्ज को
दबोच गया ।।
ओ मेरे भारत
इंग्लिश की रटना शुरू
कर कौन गया
।
अच्छी खासी माता
का पिघल मोम(mom)
गया ।।
ओ मेरे भारत
इस रटना का
असर पिता पर
भी वैध हुआ
।
बस तभी से
बापू का ओहदा
बढ़कर डैड (dead) हुआ ।।
ओ मेरे भारत
आलस की आंधी
में हर कोई
हो कर्महीन गया
।
भूलकर सब सपने
ऊँचे , विकारों के
हो अधीन गया
।।
ओ मेरे भारत कर कुछ अब चमत्कार ।
लौटा दे वापिस आदर सत्कार।।
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