नेताओं को कोसने से अच्छा हम मिलकर कुछ शुरआत करें ।
आम आदमी को संगठित कर उनसे विकास की बात करें ।
नेता ने तो चलना है राजनीति की नजर से
उसको कोसने में खुद की ऊर्जा क्यों बर्बाद करें ।
जब कर ही नही सकते उनको समझाने को लेकर कुछ हम
क्यों हम इस और बार बार आवाज करें
आओ मिलकर खुद ही अपना विकास करें
आम आदमी को संगठित कर
खुद ही न क्यों कुछ शुरुआत करें ।
शायद हम इस प्रक्रिया में नेताओं की बेबसी जान जायेंगे
वो कितने बेबस है सन्तुष्ट करने को जनता की
जब खुद कुछ करेंगे प्रयास ये भी जान जायेंगे
फिर होगा खुद में सकारात्मकता
का संचार
मिल जायेगा सभी को सन्तुष्टि का आधार
जहाँ जहाँ पर भी पुल तंग है
वहां के लोगों की सोच भी तो अपंग है
नहीं तो रुका है कहाँ ,आजके दौर में आगे बढ़ने वालों का कभी क्या
वहीँ तो रुकता है जहाँ आपस के परिवारों में ही जंग है।
आओ मिलकर परिवर्तन का प्रयास करें ,
कुछ तुम बढ़ो कुछ हम बढ़े , मिलकर क्यों न विकास करें ।
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