मंजिल पर रखना नज़र हर दम , हार जीत तो हैं अनुभव का अंग


 

मंजिल पर रखना नज़र हर दम , हार जीत तो हैं अनुभव का अंग

थकना नहीं हार कर कभी , हिम्मत रखनी है सदा संग

यही है पैगाम कलम का , बस भर लो हर पल जीवन में उमंग

नव वर्ष ले आये बहार जीवन में , चमकें खुशियों के नए रंग


मलिक ने दिया है सन्देश उम्मीद का

बस करना नहीं इसे तुम भंग

धीमे धीमे आगे बढ़ते चलो

फिर देखो तुम कुदरत के रंग


सीखना सिखाना है तराने जीवन के

बस जितनी है जीवन की जंग

जिसने अपना लिया कर्म पथ जीवन में

बस गया उसे जीने का ढंग


वर्ष आएंगे वर्ष जाएंगे, छोड़ना नहीं कर्म पथ का राग

आज अंधेरा हो बेशक , कभी तो जाग जाएंगे भाग

बस कर्म की डोर से चले चलो , उम्मीद की हो साथ में पतंग

वो कुदरत झुक जाती है कर्म से,

फिर हो जाती है दुनिया देख कर दंग


इसीलिए मंजिल पर रखना नज़र हरदम , हार जीत तो हैं अनुभव का अंग

थकना नहीं हार कर कभी , हिम्मत रखनी है सदा संग

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