पलकें हुई उस दौर में नम , जब चेहरे पर उदासी छा गयी ।
दुनिया करती रही हिसाब मेरे जख्मों का , मुझे तो बस शायरी आ गयी ।
खिलखिला कर हंसा दर्द भी तब , जब उसे मेरी ताजगी भा गयी ।
मैंने पूछा दर्द से तब क्या हुआ तुम्हें , तब दर्द को भी हंसी आ गयी ।
गम में मिल जाये हमदम गहरा , समझो जिंदगी की मंजिल आ गयी ।
दुनिया करती रही हिसाब मेरे जख्मों का , मुझे तो बस शायरी आ गयी।
चलना तो होगा वैसे जिंदगी में अकेले ही , यही बात तन्हाई सीखा गयी ।
देखा जब गौर से जो तन्हा चेहरा , मुस्कान फिर से लौट आ गयी ।
किया जो मैंने फैसला मस्ती में जीने का , ये बात दुश्मनों को खा गई।
दुनिया करती रही हिसाब मेरे जख्मों का , मुझे तो बस शायरी आ गयी ।
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